• Hindi - प्रेतकथा

    शापित हवेली

    कविता राठौड़ भाग १: हवेली के द्वार पर अद्वैता के हाथ में कैमरा और बैग था, और दिल में एक अजीब सी उत्सुकता। दिल्ली विश्वविद्यालय में रिसर्च स्कॉलर थी वो—थीसिस का विषय था: “राजस्थान की लोककथाओं में भूत–प्रेत की उपस्थिति और उसका सामाजिक प्रभाव“। इस सिलसिले में वह पहुँची थी झुंझुनूं जिले के पास बसे एक छोटे से गाँव—आकनपुर। इस गाँव के बाहरी छोर पर स्थित थी—वो काली, विशाल, वीरान ठाकुर हवेली, जहाँ पिछली आधी सदी से कोई नहीं रहता। पर जहां हर रात दीयों की रौशनी और किसी औरत के रोने की आवाज़ आती थी—ऐसा गाँव वाले कहते थे।…

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    काले पानी की हवेली

    रथिन गुप्ता  अंधविश्वास की धरती लखनऊ की हलचल भरी गलियों और चमकती सड़कों से निकलते समय पावन त्रिपाठी के दिल में एक अजीब सी बेचैनी थी। पत्रकारिता और ब्लॉगिंग की दुनिया में वह नाम तो कमा चुका था, लेकिन उसकी आत्मा को हमेशा कुछ अनछुए रहस्यों की तलाश रहती थी, जो लोगों की जुबां पर किस्सों की शक्ल में ज़िंदा होते हैं, लेकिन जिनकी सच्चाई किसी ने जानने की हिम्मत नहीं की। उसके हाथ में उसकी नोटबुक थी, जिस पर लिखा था – “काले पानी की हवेली – एक अनकही दास्तान”। उसने कई रातें इस हवेली के बारे में पढ़ने,…

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    पूर्वकथा का शाप

    अनामिका तिवारी अध्याय १: वह शिलालेख धूप की किरणें पहाड़ की चोटियों को छूते हुए नीचे बसे गाँव को जगाने लगी थीं। पहाड़ी हवा में अभी भी रात की ठंडक बाकी थी। गाँव का नाम था “बद्रीनगर” — सघन देवदारों के बीच बसा एक छोटा-सा अज्ञात गाँव, जहाँ समय मानो रुक गया हो। बद्रीनगर की सबसे पुरानी विरासत थी — कालेश्वर मंदिर, जो गाँव से कुछ दूरी पर पहाड़ी की चोटी पर स्थित था। यह मंदिर न सिर्फ अपने स्थापत्य के लिए, बल्कि वहाँ लिखे एक शिलालेख के कारण भी प्रसिद्ध था — वह शिलालेख, जिसे कोई नहीं छूता, कोई…

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    कोठी का कमरा नंबर 9

    निहार राठौड़ राजगढ़ स्टेशन पर शाम के पाँच बज चुके थे, लेकिन उस छोटे से प्लेटफ़ॉर्म पर वक्त ठहरा हुआ लगता था। धूल से सनी पीली बेंचें, खामोश ट्रैक, और स्टील के पुराने खंभों पर टिमटिमाती मटमैली बत्तियाँ—सबकुछ जैसे किसी भूतपूर्व समय की तस्वीर हो। अर्जुन ठाकुर, तीस वर्ष का एक तेज़-तर्रार स्वतंत्र पत्रकार, दिल्ली से यहाँ सिर्फ एक मकसद लेकर आया था—ठाकुर हवेली के रहस्य को उजागर करना। उसके हाथ में एक पुराना, हल्का पीला लिफ़ाफा था, जिसमें केवल एक पंक्ति लिखी थी: “कमरा नंबर 9 को फिर से खोला जाना चाहिए। मेरा सच अब भी वहाँ बंद है।”…

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    सुनसान सड़क

     वह रास्ता और वह लड़की चाँदनी रात थी, लेकिन आकाश में बादलों की हल्की परतें तैर रही थीं। समय था रात के साढ़े नौ, जब राहुल और कबीर नैनीताल की ओर अपनी मारुति कार में चल रहे थे। दोनों दोस्त दिल्ली से वीकेंड ट्रिप पर निकले थे। हाईवे पर ट्रैफिक ज्यादा होने की वजह से कबीर ने एक शॉर्टकट लेने का सुझाव दिया—एक पुरानी, कम इस्तेमाल होने वाली सड़क जो जंगल के किनारे से होकर गुजरती थी। “GPS तो यही दिखा रहा है, भाई। दस किलोमीटर बाद फिर से हाईवे पकड़ लेंगे,” कबीर ने आत्मविश्वास से कहा। “तेरा GPS हमें…

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    वापसी – हवलदार की आत्मा

    निरंजन पाठक राजीव शर्मा एक तेज़-तर्रार और तर्कशील पत्रकार था। वह हमेशा से उन कहानियों के पीछे भागता था, जिनमें रहस्य, सनसनी और थोड़ा खतरा हो। दिल्ली के एक प्रमुख न्यूज़ पोर्टल में काम करते हुए उसने कई बार विवादास्पद रिपोर्टों पर काम किया था, लेकिन अब वह कुछ अलग करना चाहता था — ऐसा कुछ, যা सिर्फ ख़बर न होकर, अनुभव बन जाए। एक दिन जब वह अपने पुराने कॉलेज के प्रोफेसर से मिलने गया, तब बातचीत में हिमाचल के एक छोटे से गाँव ज्योरीधार का ज़िक्र आया। प्रोफेसर बोले, “वहाँ एक पुरानी हवेली है, जिसे लोग ‘हवलदार की…

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    काला रहस्य

    अभिज्ञान मेहता आगमन गहरी रात थी। झारखंड की पहाड़ियों के बीच बसा बिसराडीह गाँव जैसे नींद में था, लेकिन हवा में कुछ असामान्य था। रिया चौधरी, एक नवयुवती खोजी पत्रकार, टैक्सी की खिड़की से बाहर झांक रही थी। कोलकाता से तकरीबन 300 किलोमीटर की दूरी तय कर वह इस रहस्यमयी गाँव में पहुँच चुकी थी। साथ था उसका कैमरामैन अमित, जो थका हुआ था लेकिन उत्साहित भी। “रिया, यार… हम ये लोककथाओं की रिपोर्टिंग क्यों कर रहे हैं? भूत-प्रेत की कहानियाँ अब कोई नहीं सुनता,” अमित ने कैमरा बैग जमाते हुए कहा। “TRP की बात मत कर अमित। यहां कुछ…