• Hindi - प्रेतकथा - रहस्य कहानियाँ

    कालका मंदिर का रहस्य

    अर्पण शुक्ला अध्याय की शुरुआत गर्म, सुनहरे रेगिस्तान की छवि से होती है, जहाँ सूरज की तेज़ किरणें रेत की लहरों पर चमकती हैं। आर्यन, सायली, करण और निधि, चार कॉलेज के दोस्त, अपनी बैकपैक में जरूरी सामान पैक कर, राजस्थान की असीमित रेगिस्तानी भूमि की ओर निकलते हैं। हर कोई इस यात्रा को लेकर उत्साहित और थोड़ा नर्वस महसूस कर रहा था, क्योंकि उनकी योजना सिर्फ पर्यटन या तस्वीरें लेने तक सीमित नहीं थी; उनका उद्देश्य प्राचीन स्थलों, भूतपूर्व किलों, और लोककथाओं में गहराई से उतरना था। कार की खिड़की से बहती हवा उनके चेहरे को छू रही थी,…

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    भूलभुलैया हवेली

    १ राजस्थान की तपती दोपहर में जब रेत के ढेर सुनहरी चमक बिखेर रहे थे, उसी समय वीरेंद्र राठौड़ अपने सफर की थकान झेलते हुए गाँव में पहुँचा। गाँव छोटा था, लेकिन सदियों पुराने किलेनुमा घरों और मिट्टी के झोपड़ों से भरा हुआ। हर गली से गुजरते हुए उसे महसूस होता कि लोग उसे एक अजीब नज़र से देख रहे हैं—जैसे उसकी पहचान उनसे अलग हो, जैसे उसका मक़सद उन्हें पहले ही मालूम हो। गाँव के चौपाल पर बैठे बूढ़े धीरे-धीरे आपस में फुसफुसाते, और बच्चे डरते-डरते उसके बैग को देखते, मानो किसी अनजाने यात्री का सामान हमेशा रहस्य से…

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    पलंग के नीचे

    समीरा त्रिपाठी नई दिल्ली के बाहरी इलाक़े में फैला वह अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स पहली नज़र में बिल्कुल साधारण लगता था—ऊँची-ऊँची इमारतें, बच्चों के खेलने का पार्क, गाड़ियों की पार्किंग में जमी धूल और शाम को लौटते दफ़्तरियों की भीड़। लेकिन इमारत नंबर बी–7 का फ्लैट 203 किसी कारणवश हमेशा खाली रहता था। लोगों ने कई बार वहाँ किराएदार देखे थे, लेकिन कुछ ही हफ़्तों में वे सामान समेट कर चले जाते। पड़ोसियों की बातें थीं कि रात के समय उस घर से अजीब आवाज़ें आती हैं—कभी फुसफुसाहट, कभी फर्नीचर खिसकने की, कभी किसी के धीमे-धीमे रोने की। मगर इन सब कहानियों…

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    कोठी का आईना

    अविनाश त्रिपाठी १ गांव के बीचोंबीच, ऊँचे-ऊँचे बरगद और पीपल के पेड़ों की छाया में, एक पुरानी हवेली खड़ी थी। चारों ओर जंगली घास ने ज़मीन को ढक लिया था और हवेली की दीवारें जगह-जगह से उखड़ चुकी थीं। बरसों की बरसात और धूप ने ईंटों पर काई जमा दी थी, मानो किसी ने उसे जानबूझकर त्याग दिया हो। टूटी खिड़कियों से आती हवा के साथ चरमराते दरवाज़ों की आवाज़ रात के सन्नाटे में किसी आत्मा की फुसफुसाहट सी लगती थी। कभी यह हवेली राजवीर सिंह के ज़मींदार परिवार की शान थी—जहां मेहमानों का तांता लगा रहता था, दावतें होती…

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    अधूरी बारात

    मनीषा राठौड़ १ राजस्थान का रेगिस्तान दिन में तपती धूप और रात में सिहरन भरी ठंड से भरा रहता है। लेकिन इन सबके बीच, उस वीराने में बसा छोटा-सा गाँव धोराबावड़ी अपनी अजीबोगरीब दास्तान के लिए मशहूर है। यह गाँव चारों तरफ़ फैली रेतीली ढलानों और दूर-दूर तक बिछी झाड़ियों के बीच बसा है। दिन में ऊँटों की घंटियाँ और बच्चों की किलकारियाँ सुनाई देती हैं, लेकिन रात का नज़ारा एकदम अलग होता है—मानो पूरा गाँव साँस रोककर किसी अनदेखे मेहमान की प्रतीक्षा करता हो। गाँव के लोग मानते हैं कि हर साल सावन की अंधेरी रात, जब चाँद बादलों…

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    हिमालय का काला साधु

    १ उत्तराखंड की बर्फ़ से ढकी चोटियाँ सर्दियों की ठंडी साँसों के साथ रहस्यों को भी संजोए रहती हैं। यहाँ की वादियों में हर सरसराती हवा, हर बहती धारा, हर देवदार का पेड़ किसी पुरानी कहानी की गवाही देता है। स्थानीय गाँवों में अक्सर रात की अलाव बैठकों में बूढ़े बुजुर्ग एक ही कथा बार-बार सुनाते हैं—“काले साधु” की। यह साधु कोई साधारण संन्यासी नहीं था, बल्कि ऐसा सन्यासी जिसने अमरत्व की चाह में अपने जीवन को काले तंत्र की ओर मोड़ दिया। कहते हैं कि सदियों पहले उसने एक बर्फ़ीली गुफा को अपनी साधना का स्थान चुना और वहाँ…

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    बरगद का वादा

    १ गाँव से ज़रा हटकर, कच्ची पगडंडी के किनारे, खेतों और बंजर ज़मीन के बीच खड़ा था एक विशाल बरगद का पेड़। उसकी जटाएँ धरती से लटककर साँपों की तरह रेंगती थीं और उसका फैलाव इतना था कि बरसात के दिनों में आधा गाँव उसकी छाँव में आ सकता था। लेकिन यह छाँव गाँववालों के लिए सुकून नहीं, बल्कि डर का पर्याय थी। पेड़ के चारों ओर का इलाक़ा वीरान और सुनसान पड़ा रहता; न कोई पशु पास आता, न कोई इंसान। कहते थे कि बरगद के पत्तों की सरसराहट भी आम हवा की तरह नहीं, बल्कि किसी की फुसफुसाहट…

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    नासिक का शिकारी

    आदित्य राणे जंगल की चेतावनी नासिक की सुबहें अंगूर के बाग़ों और पहाड़ियों की धुंध से शुरू होती हैं। सूरज की पहली किरणें जब त्र्यंबक के जंगलों पर गिरतीं, तो पूरा इलाका सुनहरी चादर से ढक जाता। लेकिन उसी सुंदरता के भीतर छुपा था एक ऐसा रहस्य, जिसके बारे में गाँव के लोग फुसफुसाते थे—सुपारीवान जंगल। सुपारीवान का नाम सुनते ही बुज़ुर्गों की आँखें भय से सिकुड़ जातीं। वे कहते—“दिन में यहाँ पेड़ों की सरसराहट अलग होती है, लेकिन रात में… रात में ये जंगल अपने असली रूप में ज़िंदा हो उठता है।” गाँव के छोटे बच्चे जब खेलते-खेलते उस…

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    कालीन की नज़रों वाला घर

    १ कर्नाटक के एक पुराने शहर में अर्जुन वर्मा और उनकी पत्नी नैना वर्मा अपने बेटे रोहन के साथ नए जीवन की शुरुआत करने के लिए एक पुराना घर खरीदने का निर्णय लेते हैं। अर्जुन, जो इतिहास के प्रोफेसर हैं, और नैना, जो एक फ्रीलांस आर्टिस्ट हैं, दोनों ही शहर के शोरगुल से दूर, शांति की तलाश में थे। उनका नया घर शहर के बाहरी इलाके में स्थित था, एक ठंडे, शांति से भरे इलाके में, जहां हवा में एक अनूठी ठंडक थी और आस-पास के पेड़-पौधे इस क्षेत्र को और भी सुंदर बना रहे थे। घर का बाहरी हिस्सा…

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    पाँचवां कमरा

    कृष्णा तामसी १ चारों तरफ बर्फ की सफेद चादरें बिछी थीं और हरे देवदार के पेड़ जैसे किसी पुराने रहस्य को छिपाए खड़े थे। आरव मल्होत्रा की जीप धीरे-धीरे घने कोहरे को चीरती हुई हिमाचल के दुर्गम पहाड़ी रास्तों से गुजर रही थी। मोबाइल नेटवर्क कब का गायब हो चुका था और जीपीएस भी मानो बर्फ में जम चुका था। ड्राइवर संजय, जो गांव का ही था, बिना कुछ कहे बस गाड़ी चलाता जा रहा था। आरव अपने कैमरे से बर्फबारी की फुटेज लेने में मग्न था, जब उसने अचानक पूछा, “संजय भाई, कितनी दूर है वो गेस्ट हाउस?” संजय…