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    अल्‍लाहाबाद की पतंगें

    अमूलिक त्रिपाठी संगम के आकाश में संगम नगरी इलाहाबाद की सुबहें कुछ अलग होती हैं। जब सूरज यमुना के ऊपर से अपना नारंगी उजाला धीरे-धीरे फैलाना शुरू करता है, तब शहर की संकरी गलियों से आवाज़ें आने लगती हैं—“पेच दे!” “ढील दे!” “अब कटेगी!” यही पतंगबाज़ी की शुरुआत होती है। नौवी कक्षा का छात्र अर्जुन मिश्रा उन लड़कों में से था जिनके लिए पतंगबाज़ी सिर्फ एक खेल नहीं, इज़्ज़त का सवाल थी। उसकी आँखों में संगम के आकाश को जीतने का सपना था। माघ मेले की भीड़, कुंभ की तैयारियाँ, और आस्था की बाढ़ में भी अर्जुन की नजरें आसमान…

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    कागज़ की नाव

    राजेश मिश्रा पहली बारिश सिवानपुर एक छोटा-सा गाँव था, जहाँ हर मौसम अपने पूरे रंग लेकर आता था। लेकिन सबसे प्यारा मौसम होता था — बारिश का। बारिश का पहला दिन जैसे किसी त्यौहार से कम नहीं होता था। मिट्टी की खुशबू हवा में तैरने लगती, आम के पेड़ों पर पत्तियाँ नाच उठतीं, और बच्चों के पैरों में जैसे पर लग जाते। सात साल का बिट्टू, जो अपनी लाल फटी-पुरानी कमीज़ में बिल्कुल गुलमोहर के फूल जैसा लगता था, उस दिन सुबह से ही आसमान को ताक रहा था। बादल गरजते रहे, और जैसे ही पहली बूँद ज़मीन पर गिरी,…

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    तहज़ीब टूर: बाबू भइया की डायरी

    ज़ाहिर लखनवी नाम है बाबू भइया अरे भइया नमस्ते! हमार नाम बाबू भइया है। लखनऊ के रहने वाले हैं, और काम करते हैं टूरिस्ट गाइड का। अब आप सोच रहे होंगे कि “गाइड” मतलब बस आदमी को घुमाना-फिराना? अरे न न, हमार गाइडिंग में इमोशन है, टशन है, और सबसे बड़ी बात – लखनऊ वाला फैशन है! अब देखिए, लखनऊ शहर खुदे एक किस्सा है। हर गली, हर चौराहा, हर इमारत का अपना एक इतिहास है, एक अदा है। और हम? हम हैं इस अदा के एम्बेसडर! हमरा घर चौक इलाके में है – वहीं जहाँ इत्र की खुशबू हवा…