आकाश ठाकुर अध्याय 1 – बरगद की छाँव गाँव के बीचोंबीच खड़ा बरगद का विशाल पेड़ सदियों की गवाही देता प्रतीत होता था। उसकी जड़ें ज़मीन के भीतर गहरी उतरती और शाखाएँ आसमान की ओर फैली होतीं, मानो समय की लकीरों को अपने पत्तों में समेटे हुए। इस पेड़ के नीचे हमेशा हलचल रहती। सुबह-सुबह बूढ़े लोग अपनी दरी बिछाकर बैठते, अपने दिनों की बातें साझा करते और कभी-कभी नए आने वाले बच्चों को अपनी कहानियों में उलझा देते। धूप अगर ज्यादा तेज़ होती, तो उनकी आँखों की चमक पेड़ की घनी छाँव में ढल जाती। बच्चों के लिए यह…
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अनुभव तिवारी १ सांझ की बेला में जब गंगा किनारे वाराणसी का दशाश्वमेध घाट धीरे-धीरे दीपों और मंत्रोच्चार से भरने लगता है, तो वहाँ का हर दृश्य किसी अलौकिक चित्र की तरह आँखों में उतरता है। सूरज का अंतिम प्रकाश गंगा की सतह पर सुनहरी आभा बिखेरता है और उसकी लहरें मानो उस प्रकाश को अपनी गोद में समेटने के लिए आपस में खेलती हुई झिलमिलाती हैं। घाट की सीढ़ियों पर भीड़ उमड़ आई है—कहीं श्रद्धालु अपने हाथों में फूल और दीये लिए खड़े हैं, कहीं विदेशी पर्यटक मंत्रमुग्ध होकर इस दृश्य को कैमरे में कैद कर रहे हैं, और…
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आरति देशमुख अध्याय १ : आगमन लखनऊ स्टेशन पर उतरते ही अनामिका सेन को सबसे पहले जो एहसास हुआ, वह था इस शहर की हवा में घुला हुआ अदृश्य जादू। दिल्ली की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी से बिल्कुल अलग, यहाँ की फिज़ाओं में एक पुरानी रूहानी नमी थी, जैसे हर सांस में सदियों का इतिहास घुला हो। प्लेटफ़ॉर्म पर उतरते समय ही उसकी नज़रें उस खास अंदाज़ से सजाई गई इमारतों पर टिक गईं, जो ब्रिटिश दौर की वास्तुकला और नवाबी अदब का संगम लगती थीं। ऑटो रिक्शे और आधुनिक कैब सेवाओं के बीच से होकर बाहर निकलते हुए उसे महसूस…
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अध्याय १: सफ़र की शुरुआत कॉलेज की ट्रिप का दिन था, और जैसे ही सुबह की हल्की धूप ने शहर को छुआ, छात्रों की उत्साहपूर्ण आवाज़ें पूरे कॉलेज परिसर में गूंजने लगीं। बस के बाहर टहलते हुए कुछ छात्र अपने बैग्स की जाँच कर रहे थे, कुछ अपनी कैमरों और स्नैक्स की तैयारी में लगे थे। सड़क पर चहल-पहल थी—बच्चों के माता-पिता ने उन्हें आख़िरी बार गले लगाकर विदा किया था, और अब बस के अंदर की हलचल ही उनका नया संसार बन गई थी। जैसे ही बस की चाबी घुमाई गई और इंजन की गड़गड़ाहट ने सफ़र की शुरुआत…
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आधी रात का चाँद वाराणसी की गलियाँ वैसे तो दिन-रात लोगों से भरी रहती हैं लेकिन शाम होते ही उनमें एक अजीब-सी खामोशी उतर आती है, मानो सदियों पुरानी इमारतें खुद अपनी कहानियाँ सुनाने लगती हों। उन्हीं गलियों में रहती थी समीरा, उम्र मात्र बाईस, आँखों में अनगिनत राग और दिल में अधूरी ख्वाहिशों का कोलाहल। वह बनारस घराने की तालीम ले रही थी, सुबह की ठंडी हवा में उसका सुर और तानपुरे की गूँज मिलकर मोहल्ले का वातावरण बदल देती थी। लेकिन उसके भीतर हमेशा एक दुविधा रहती—क्या कभी वह अपने संगीत से पहचान बना पाएगी या परिवार की…
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आरव मेहता भाग 1 : मुलाक़ात की ख़ामोशी दिल्ली की भीगी दोपहर थी। बरसात का मौसम हमेशा ही लोगों को अपने भीतर छिपे हुए जज़्बातों से मिलाता है। मेट्रो स्टेशन के बाहर लोग अपने-अपने रास्ते भाग रहे थे, किसी के हाथ में छाता था, किसी के कंधे पर बैग। उसी भीड़ में खड़ी थी आर्या, नीली सलवार-सूट पहने, बालों से टपकते पानी की बूँदें जैसे उसकी आँखों में चमक को और गहरा बना रही थीं। वह लाइब्रेरी से लौट रही थी, हाथ में किताबों का ढेर था। अचानक किसी ने पीछे से पुकारा— “सुनिए… आपकी किताब गिर गई।” आर्या ने…
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निखिल आनंद एपिसोड 1: पहली मुलाक़ात शाम ढल रही थी। शहर की सड़कों पर पीली बत्तियाँ जल चुकी थीं और हवा में नमी का हल्का-सा स्वाद था। किसी पुराने फ़िल्मी गीत की धुन पास के पानवाले की दुकान से छनकर आ रही थी। भीड़ के बीच भी कभी-कभी अकेलापन उतना ही गहरा लगता है जितना वीराने में। और उसी अकेलेपन में वह पहली बार दिखी—गुलाबी सलवार-कमीज़ में, एक हाथ में किताब थामे, दूसरे हाथ से साइकिल संभालती हुई। आदित्य उस वक़्त कॉलेज के बरामदे में खड़ा था। वह इतिहास का लेक्चर ख़त्म कर चुका था और दोस्तों के साथ बाहर…
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अदिति देशपांडे १ अन्विता के लिए घर की चारदीवारी किसी कैदख़ाने से कम नहीं थी। सुबह की धूप जब परदों के बीच से छनकर कमरे में आती, तो भी उसमें कोई गर्माहट नहीं होती थी। उसके जीवन का हर दिन एक ही तरह का था—संघर्ष और चुप्पी का। रसोई की खटपट, दीवारों पर टंगी तस्वीरों की उदासी, और हर शाम दरवाज़े की आहट जब विवेक घर लौटता, तब उसका दिल अजीब-सा धड़कने लगता। विवेक का चेहरा देखना उसके लिए किसी कड़ी परीक्षा जैसा था—जहाँ हर शब्द में तिरस्कार, हर नज़र में ठंडापन, और हर चुप्पी में भारीपन छिपा होता। अन्विता…
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प्रियांशु त्रिवेदी भाग 1 : पहली मुलाक़ात वाराणसी की संकरी गलियाँ हमेशा से एक रहस्य समेटे रहती हैं—कभी पान की लाली से सजी हंसी, तो कभी मंदिर की घंटियों में घुली प्रार्थना। सूरज जैसे ही गंगा के ऊपर लालिमा फैलाता, घाट की सीढ़ियाँ जीवन से भर जातीं। ठीक ऐसे ही एक सुबह, दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती की तैयारी हो रही थी। भीड़ जमा हो चुकी थी, पुजारियों के मंत्रोच्चार वातावरण में घुल रहे थे, और हवा में अगरबत्ती का धुआँ लहराते हुए अतीत और वर्तमान को जोड़ रहा था। इसी भीड़ में थी आर्या—सफेद सूती सलवार में, हाथ में…
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अदिती वर्मा १ पहाड़ों की ओर रवाना होने से पहले कॉलेज के कैंपिंग ट्रिप का माहौल अपने आप में उत्साह और ऊर्जा से भरा हुआ था। आरव और नंदिनी अपने दोस्तों के साथ सुबह के समय कॉलेज परिसर में इकट्ठे हुए, जहाँ हर कोई अपने बैग में जरूरी सामान भर रहा था—तंबू, स्लीपिंग बैग, कैंपिंग कुकर, और कुछ जरूरी खाने-पीने की चीजें। सूरज की हल्की धूप और ताजगी भरी हवा ने माहौल को और भी रोमांचक बना दिया था। सभी छात्रों के चेहरे पर मुस्कान थी, और हर कोई इस बात से बेहद उत्साहित था कि अब वे शहर की…