• Hindi - प्रेम कहानियाँ

    वो बारिश की आखिरी बूँद

    अन्वी शर्मा मसूरी की वादियाँ उस दिन कुछ ज़्यादा ही ख़ामोश थीं। हल्की बारिश की बूँदें पेड़ों की पत्तियों से फिसलती हुई ज़मीन को चूम रही थीं, और दूर-दूर तक एक धुंधली सी चादर फैल चुकी थी। लाइब्रेरी की पुरानी लकड़ी की खिड़की से टिककर बैठी आव्या वही किताब फिर से पढ़ रही थी—‘निराला की कविताएं’। हर महीने कम से कम एक बार वो इस किताब को उठाती, जैसे किसी पुराने दोस्त से मिलने जाती हो। किताबों के उस शांत कमरे में हर चीज़ व्यवस्थित थी—टेबल पर रखे पुराने रिकॉर्ड कार्ड, आलमारी की चाभियों का गुच्छा, और दीवार पर टंगी…

  • Hindi - हास्य कहानियाँ

    बड़े बाबू का चश्मा

    शरद ठाकुर लखनऊ के पुराने चौक मोहल्ले में एक लाल-ईंटों की हवेली है, जिसकी दीवारों पर वक़्त ने अपनी रेखाएँ खींच दी हैं। उसी हवेली के आँगन में, आम के पुराने पेड़ के नीचे रखी एक बेंत की कुर्सी पर हर सुबह विराजमान होते हैं—श्री बृजमोहन तिवारी, उर्फ़ बड़े बाबू। उम्र लगभग सत्तर पार, लेकिन चाल-ढाल में आज भी वह ‘पोस्ट ऑफिस के हेड क्लर्क’ की गरिमा बरकरार रखे हुए हैं। सुबह होते ही, जब मुहल्ले में दूधवाले की साइकिल की घंटी बजती है और नल से पानी टपकने लगता है, बड़े बाबू की नींद खुल जाती है। एक हाथ…

  • Hindi - प्रेम कहानियाँ

    खामोशियों में तुम्हारा नाम

    आर्या वर्मा स्टेशन की उस सुबह सर्दी की हल्की चादर ओढ़े दिल्ली के हज़रत निज़ामुद्दीन स्टेशन पर सुबह-सुबह हलचल कुछ ज़्यादा थी। ट्रेन के हॉर्न, कुलियों की आवाज़, चायवाले की पुकार—सब कुछ रोज़ जैसा ही था। लेकिन उस दिन कुछ अलग भी था, कुछ ऐसा जो आरव की दुनिया बदलने वाला था। आरव, एक चुपचाप रहने वाला लड़का, किताबों और कैमरों से दोस्ती करने वाला, पेशे से फोटोग्राफर था। उसे स्टेशन की भीड़ में कहानियाँ दिखती थीं—हर चेहरा, हर मुस्कान, हर विदाई में। वह उसी भीड़ को अपने कैमरे में कैद करने आया था। जब उसकी नज़र पहली बार उस…

  • Hindi - प्रेतकथा

    सुनसान सड़क

     वह रास्ता और वह लड़की चाँदनी रात थी, लेकिन आकाश में बादलों की हल्की परतें तैर रही थीं। समय था रात के साढ़े नौ, जब राहुल और कबीर नैनीताल की ओर अपनी मारुति कार में चल रहे थे। दोनों दोस्त दिल्ली से वीकेंड ट्रिप पर निकले थे। हाईवे पर ट्रैफिक ज्यादा होने की वजह से कबीर ने एक शॉर्टकट लेने का सुझाव दिया—एक पुरानी, कम इस्तेमाल होने वाली सड़क जो जंगल के किनारे से होकर गुजरती थी। “GPS तो यही दिखा रहा है, भाई। दस किलोमीटर बाद फिर से हाईवे पकड़ लेंगे,” कबीर ने आत्मविश्वास से कहा। “तेरा GPS हमें…

  • Hindi - प्रेतकथा

    वापसी – हवलदार की आत्मा

    निरंजन पाठक राजीव शर्मा एक तेज़-तर्रार और तर्कशील पत्रकार था। वह हमेशा से उन कहानियों के पीछे भागता था, जिनमें रहस्य, सनसनी और थोड़ा खतरा हो। दिल्ली के एक प्रमुख न्यूज़ पोर्टल में काम करते हुए उसने कई बार विवादास्पद रिपोर्टों पर काम किया था, लेकिन अब वह कुछ अलग करना चाहता था — ऐसा कुछ, যা सिर्फ ख़बर न होकर, अनुभव बन जाए। एक दिन जब वह अपने पुराने कॉलेज के प्रोफेसर से मिलने गया, तब बातचीत में हिमाचल के एक छोटे से गाँव ज्योरीधार का ज़िक्र आया। प्रोफेसर बोले, “वहाँ एक पुरानी हवेली है, जिसे लोग ‘हवलदार की…

  • Hindi - क्राइम कहानियाँ

    मायानगरी के साए

    अर्जुन वर्मा भाग 1 मुंबई की रातों में कुछ अलग ही बात होती है। दिनभर की चकाचौंध के बाद जब समंदर की लहरें भी थककर किनारे से लिपटती हैं, तब शहर के असली चेहरे बाहर निकलते हैं। शोभा डे की पन्नों से परे, फिल्मों के पर्दे से पीछे — वहाँ एक और मुंबई है। काली, चुपचाप, और खूनी। उसी के एक कोने में, डोंगरी की तंग गलियों में, तीन परछाइयाँ एक नीली मारुति वैन से उतरीं। वैन के सामने वाला शीशा टूटा हुआ था। ड्राइवर ने लाइट बंद रखी थी, गाड़ी का इंजन बंद कर दिया गया था ताकि किसी…

  • Hindi - क्राइम कहानियाँ

    धुएँ का रहस्य

    राघवेंद्र मिश्रा १ रात के बारह बजे थे। शहर की गलियों में सन्नाटा पसरा हुआ था। लेकिन उस सन्नाटे को चीरती हुई हवेली नंबर २१ से एक अजीब सी आवाज़ आ रही थी—कभी दरवाज़े के चरमराने की, तो कभी किसी के कराहने की। यह हवेली कभी मिश्रा परिवार की शान हुआ करती थी, लेकिन अब यह वीरान और खंडहर में तब्दील हो चुकी थी। हवेली के चारों ओर उग आए कंटीले पेड़ और सूखे पत्तों का ढेर उसे और डरावना बना देता था। आज भी उसी हवेली से धुआँ उठता दिखाई दे रहा था। मोहल्ले वालों का कहना था कि…

  • Hindi - कल्पविज्ञान

    अंधकार शहर

    रिहाना कौर सूरज की छाँव में अंधकार शहर १ जनवरी २०९५, सुबह ८:३० बजे दिल्ली का वह इलाका, जिसे अब लोग “अंधकार शहर” के नाम से जानते थे, धुंध और घने बादलों के साए में लिपटा रहता था। सुबह के वक्त भी यहाँ सूरज की किरणें दुर्लभ थीं। ऊँची-ऊँची गगनचुंबी इमारतें इस कदर सघन थीं कि वे सूरज की रोशनी को ज़मीन तक पहुँचने से रोकती थीं। यहाँ के लोग तकनीक पर पूरी तरह निर्भर थे। हर घर, हर ऑफिस, हर सड़क के किनारे स्मार्ट सेंसर लगे थे, जो नेटवर्क के माध्यम से जुड़े थे। अरुण, २८ वर्षीय इंजीनियर, अपनी…

  • Hindi - प्रेतकथा

    काला रहस्य

    अभिज्ञान मेहता आगमन गहरी रात थी। झारखंड की पहाड़ियों के बीच बसा बिसराडीह गाँव जैसे नींद में था, लेकिन हवा में कुछ असामान्य था। रिया चौधरी, एक नवयुवती खोजी पत्रकार, टैक्सी की खिड़की से बाहर झांक रही थी। कोलकाता से तकरीबन 300 किलोमीटर की दूरी तय कर वह इस रहस्यमयी गाँव में पहुँच चुकी थी। साथ था उसका कैमरामैन अमित, जो थका हुआ था लेकिन उत्साहित भी। “रिया, यार… हम ये लोककथाओं की रिपोर्टिंग क्यों कर रहे हैं? भूत-प्रेत की कहानियाँ अब कोई नहीं सुनता,” अमित ने कैमरा बैग जमाते हुए कहा। “TRP की बात मत कर अमित। यहां कुछ…

  • Hindi - हास्य कहानियाँ

    अंधेरे में हँसी

    अमूलिक त्रिपाठी भाग 1 रतनलाल मिश्र को रिटायर हुए दो साल हो चुके थे, लेकिन मोहल्ले में अब भी लोग उन्हें ‘मिश्र जी पोस्टमैन’ कहकर बुलाते थे। असली नाम से कोई कुछ नहीं पुकारता, जैसे आदमी नहीं, उसकी पुरानी नौकरी ही उसकी पहचान हो। रतनलाल को इससे कोई आपत्ति नहीं थी। अब तक तो आदत पड़ गई थी — पहचान की, अकेले चाय पीने की, और उस दीवार घड़ी की जो हमेशा पाँच मिनट आगे चलती थी, शायद ताकि ज़िंदगी की उदासी को थोड़ी जल्दी दिखाया जा सके। पत्नी गुजर गई थी, बेटा दुबई में था, बहू को हिंदी समझ…