विनीत त्रिपाठी बनारस की रातें हमेशा से रहस्यमयी रही हैं, मानो इस शहर की गलियों, घाटों और हवाओं में कोई अदृश्य कहानी हर रात जन्म लेती हो। गंगा का किनारा, जहाँ दिन में हजारों श्रद्धालु पूजा-अर्चना में लीन रहते थे, रात होते ही किसी प्राचीन ग्रंथ की तरह रहस्य में डूब जाता था। वहीं पर स्थित थी वह हवेली, जिसे लोग ठाकुर हवेली के नाम से जानते थे। कभी इस हवेली में संगीत की महफिलें सजती थीं, बड़े-बड़े उस्ताद यहाँ अपनी कला का प्रदर्शन करते थे, और रियाज की स्वर लहरियाँ हवेली की दीवारों से टकराकर बनारस की हवाओं में…
-
-
निशांत परांजपे भाग 1 रेल की सीटी की आवाज़, कुछ पुराने डिब्बों का कराहता हुआ शोर और उस पर हल्की बूंदाबांदी—आरव सैनी जैसे ही इस पुराने स्टेशन पर उतरा, उसे कुछ अजीब सा एहसास हुआ। वो पुलिस इंस्पेक्टर था, लेकिन इस बार ड्यूटी पर नहीं। छुट्टी पर आया था, खुद को थोड़े दिन के लिए दूर रखने उस दुनिया से जहां हर कदम पर शक होता है, हर मुस्कान के पीछे कोई कहानी। लेकिन किस्मत को उसकी छुट्टी मंजूर नहीं थी। यह स्टेशन उत्तर भारत के एक छोटे से शहर का था—नाम ज़रूरी नहीं, क्योंकि ऐसी जगहें हर राज्य में…
-
अर्जुन वर्मा भाग 1 मुंबई की रातों में कुछ अलग ही बात होती है। दिनभर की चकाचौंध के बाद जब समंदर की लहरें भी थककर किनारे से लिपटती हैं, तब शहर के असली चेहरे बाहर निकलते हैं। शोभा डे की पन्नों से परे, फिल्मों के पर्दे से पीछे — वहाँ एक और मुंबई है। काली, चुपचाप, और खूनी। उसी के एक कोने में, डोंगरी की तंग गलियों में, तीन परछाइयाँ एक नीली मारुति वैन से उतरीं। वैन के सामने वाला शीशा टूटा हुआ था। ड्राइवर ने लाइट बंद रखी थी, गाड़ी का इंजन बंद कर दिया गया था ताकि किसी…
-
राघवेंद्र मिश्रा १ रात के बारह बजे थे। शहर की गलियों में सन्नाटा पसरा हुआ था। लेकिन उस सन्नाटे को चीरती हुई हवेली नंबर २१ से एक अजीब सी आवाज़ आ रही थी—कभी दरवाज़े के चरमराने की, तो कभी किसी के कराहने की। यह हवेली कभी मिश्रा परिवार की शान हुआ करती थी, लेकिन अब यह वीरान और खंडहर में तब्दील हो चुकी थी। हवेली के चारों ओर उग आए कंटीले पेड़ और सूखे पत्तों का ढेर उसे और डरावना बना देता था। आज भी उसी हवेली से धुआँ उठता दिखाई दे रहा था। मोहल्ले वालों का कहना था कि…
-
रवि शर्मा 1 शहर के बाहरी इलाके में एक वीरान मकान था, जिसके चारों तरफ कंटीली झाड़ियों का घेरा था। लोग कहते थे कि वहां रात में अजीब आवाजें सुनाई देती हैं। किसी ने बताया था कि सालों पहले वहां एक कत्ल हुआ था और वो मकान तब से वीरान पड़ा था। इंस्पेक्टर राघवन को रात के ग्यारह बजे पुलिस कंट्रोल रूम से कॉल आया। “सर, पुराना मकान… वहां चीखने की आवाजें आ रही हैं,” कांस्टेबल शर्मा ने घबराते हुए कहा। राघवन ने तुरंत जीप स्टार्ट की और शर्मा के साथ मौके पर पहुँचा। मकान के दरवाजे पर ताला नहीं…