समीर त्रिपाठी भाग 1: एक लाश, एक सवाल बारिश की बूंदें जैसे अदालत की खिड़कियों से टकरा रही थीं, वैसी ही बेचैनी आज सत्र न्यायाधीश आरव मल्होत्रा के चेहरे पर थी। कोर्ट रूम नंबर ३ में उस दिन एक ऐसा मामला पेश हुआ था जो पिछले चार महीने से पूरे शहर में चर्चा का विषय बना हुआ था — ‘पारुल मर्डर केस’। पारुल वर्मा, 28 वर्ष की स्वतंत्र पत्रकार, जिसकी लाश पुराने पुल के नीचे मिली थी, चेहरे पर ज़ख़्म, गर्दन पर खरोंचें और हाथ में एक टूटी हुई रबर बैंड। अभियुक्त था — अर्णव चोपड़ा, पारुल का पूर्व प्रेमी,…