आर्या वर्मा स्टेशन की उस सुबह सर्दी की हल्की चादर ओढ़े दिल्ली के हज़रत निज़ामुद्दीन स्टेशन पर सुबह-सुबह हलचल कुछ ज़्यादा थी। ट्रेन के हॉर्न, कुलियों की आवाज़, चायवाले की पुकार—सब कुछ रोज़ जैसा ही था। लेकिन उस दिन कुछ अलग भी था, कुछ ऐसा जो आरव की दुनिया बदलने वाला था। आरव, एक चुपचाप रहने वाला लड़का, किताबों और कैमरों से दोस्ती करने वाला, पेशे से फोटोग्राफर था। उसे स्टेशन की भीड़ में कहानियाँ दिखती थीं—हर चेहरा, हर मुस्कान, हर विदाई में। वह उसी भीड़ को अपने कैमरे में कैद करने आया था। जब उसकी नज़र पहली बार उस…