• Hindi - फिक्शन कहानी

    सत्ता का जाल

    विनय प्रताप सिंह भाग 1 लखनऊ की वह रात सर्द नहीं थी, लेकिन शहर के सियासी गलियारों में एक अजीब ठंडक फैल चुकी थी। विधानसभा के बाहर अचानक बिजली चली गई। पूरे परिसर में अंधेरा छा गया, जैसे किसी ने जानबूझकर समय को रोक दिया हो। मुख्यमंत्री यशवर्धन त्रिपाठी की कार का काफिला ज़रा देर के लिए ठिठका, फिर सुरक्षा की तैनाती दोगुनी कर दी गई। मुख्यमंत्री का चेहरा भावहीन था, पर उनके माथे पर पहली बार चिंता की महीन लकीरें उभरी थीं। उसी समय सचिवालय की चौथी मंज़िल से एक छोटी सी फाइल ग़ायब हो गई। उसका नाम था—ऑपरेशन…