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    धीरे धीरे तुम्हारी ओर

    सौरभ मिश्र भाग १ नींबू की गंध अक्सर गर्मियों की दोपहर में तेज़ लगती है। मगर उस दिन, जब सपना पहली बार हमारे मोहल्ले में आई थी, नींबू की गंध में कुछ धीमा था, जैसे वो अपनी ही खुशबू से शरमा रही हो। मैं दरवाज़े के पास बैठा था, पीतल के गिलास में नींबू पानी था, और माँ के कहने पर मैंने उसमें काला नमक डाला था। तभी उसने पूछा — “नींबू ज़्यादा है ना?” मैंने उसे देखा। उसकी आँखें नींबू के रस से नहीं, किसी और ही ख्याल से भरी थीं। मैंने हाँ कहा या ना, ये मुझे याद…