• Hindi - फिक्शन कहानी

    नवंबर की चाय

    सुधांशु त्रिपाठी भाग 1 – पहली ठंडी सुबह नवंबर का महीना था। दिल्ली की सुबहें धीरे-धीरे धुंध के कपड़े ओढ़ने लगी थीं। पुरानी दिल्ली की सँकरी गलियाँ हों या नई दिल्ली की चौड़ी सड़कें, हर जगह ठंडी हवा का झोंका लोगों को अपनी ओढ़नी कसकर खींचने पर मजबूर कर देता। चौराहों पर, पार्क की बेंचों पर, यहाँ तक कि गली के नुक्कड़ों पर भी एक ही चीज़ की गंध तैर रही थी—उबलती हुई चाय की। आदित्य अपने किराए के छोटे से कमरे की खिड़की से बाहर झाँक रहा था। खिड़की के शीशे पर धुंध जम गई थी। उसने उँगली से…