नरेश चतुर्वेदी पहला भाग: उधारी के सूट से शुरू हुआ रोमांस रमेश कुमार चौबे एक साधारण लेकिन महत्वाकांक्षी युवक था, जो इलाहाबाद की एक पुरानी किराये की कोठी में रहता था जहाँ दीवारों से पपड़ी गिरती थी और छत से कबूतर। लेकिन उसके सपनों की कोई सीमा नहीं थी। वह हर इतवार को बालों में नारियल तेल लगाकर आइने के सामने “शाहरुख खान स्टाइल” में बाल झटकता और सोचता, “एक दिन मैं भी शादी करूंगा… पर किस्तों में।” असल में, रमेश का मानना था कि जीवन में कुछ भी कैश में नहीं लेना चाहिए – चाहे वो मोबाइल हो, फ्रिज…
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संजीव मिश्रा भाग 1: किशोरलाल की किस्त-कथा किशोरलाल गुप्ता, उम्र लगभग 43 साल, पेशे से एक मध्यम दर्जे का सेल्समैन, लेकिन दिल से बहुत बड़े सपने देखने वाला इंसान था। सपना—नई चमचमाती कार, फ्लैट में दो बाथरूम, और एक स्मार्ट टीवी जिसमें नेटफ्लिक्स चले बिना बफरिंग के। पर समस्या एक ही थी—पैसे। और तब उसके जीवन में एंट्री हुई EMI की। पहली बार उसने EMI का नाम सुना था अपने ऑफिस के कलीग भोला प्रसाद से। भोला ने गर्व से बताया था, “भाई, मैंने तो अब iPhone भी EMI पे लिया है, बीवी की सिलाई मशीन भी, और बेटे की…