• Hindi - हास्य कहानियाँ

    अंधेरे में हँसी

    अमूलिक त्रिपाठी भाग 1 रतनलाल मिश्र को रिटायर हुए दो साल हो चुके थे, लेकिन मोहल्ले में अब भी लोग उन्हें ‘मिश्र जी पोस्टमैन’ कहकर बुलाते थे। असली नाम से कोई कुछ नहीं पुकारता, जैसे आदमी नहीं, उसकी पुरानी नौकरी ही उसकी पहचान हो। रतनलाल को इससे कोई आपत्ति नहीं थी। अब तक तो आदत पड़ गई थी — पहचान की, अकेले चाय पीने की, और उस दीवार घड़ी की जो हमेशा पाँच मिनट आगे चलती थी, शायद ताकि ज़िंदगी की उदासी को थोड़ी जल्दी दिखाया जा सके। पत्नी गुजर गई थी, बेटा दुबई में था, बहू को हिंदी समझ…