समीर वर्मा एपिसोड 1: धुंध में चीख कोलकाता की सड़कों पर सर्दियों की धुंध इस क़दर छाई थी कि सामने चल रही पीली टैक्सी का पिछला नंबर प्लेट तक साफ़ दिखाई नहीं दे रहा था। हावड़ा ब्रिज की रोशनी उस धुंध को काटने की कोशिश कर रही थी, मगर हर रोशनी धुंध में घुलकर जैसे कोई अधूरा रहस्य बन जा रही थी। रात के पौने बारह बजे पुलिस कंट्रोल रूम में फ़ोन बजा। सब-इंस्पेक्टर शेखर चौधरी उस समय अपने डेस्क पर फाइलें पलट रहे थे। फोन उठाते ही उधर से घबराई हुई औरत की आवाज़ आई— “साहब… चीख सुनाई दी…
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शिवांगी राणा 1 कालाजोर। झारखंड-बिहार की सीमा पर बसा एक छोटा-सा कस्बा, जो अब धीरे-धीरे एक कोयला साम्राज्य की अंधेरी गहराइयों में समा चुका है। सूरज की पहली किरणें भी यहाँ की काली मिट्टी में अपना रंग खो देती थीं। एक समय था जब यहाँ जीवन था—खेत, मेले, और बच्चों की किलकारियाँ। अब हर कोने से सिर्फ एक ही आवाज़ आती थी—डंपर की घरघराहट, मशीनों की चरमराहट और… खदानों से उठती एक लंबी थकान भरी साँस। आईपीएस अधिकारी अवनि राय जब ट्रेन से उतरीं, तो सबसे पहले उन्होंने वही साँस सुनी—जैसे किसी ज़िंदा शहर के सीने पर कोयले की मोटी…