• Hindi - प्रेम कहानियाँ

    रात का दूसरा किनारा

    आर्या मेहता पुराने शहर की गलियों में नवंबर की धुंध ऐसे उतरती थी, जैसे कोई धीमी धुन दीवारों पर टिक-टिक करती हो। शाम के पाँच बजते ही सफ़ेद रोशनी वाले बल्बों के चारों ओर पतंगों की नन्ही परिक्रमा शुरू हो जाती, और मिट्टी से आती सोंधी गंध लोगों के चेहरों पर अनजाने-से भाव रच देती। उसी धुंध में, चौक की मोड़ पर, “गुलमोहर लाइब्रेरी” अपनी लकड़ी की खिड़कियों के पीछे शांति की एक अलग दुनिया समेटे बैठी रहती—पुराने पन्नों की महक, फुसफुसाहट-सी आवाज़ें, और गिरे हुए पत्तों की ख़ामोशी। अदिति ने दरवाज़ा धकेला तो घंटी की एक पतली-सी ‘टिन’ बजकर…

  • Hindi - क्राइम कहानियाँ

    खामोश गवाह

    अनिरुद्ध राजन मिश्रा वाराणसी की तंग गलियों में वो रात कुछ ज्यादा ही खामोश थी, जैसे कोई बड़ा तूफान पहले ही सब उजाड़ चुका हो। इंस्पेक्टर अयान शुक्ला की जीप जब कोतवाली इलाके की उस मोड़ पर पहुँची, तो चारों तरफ भीड़ जमा हो चुकी थी। लाल-नीली बत्तियों की चमक पुलिस की असहज उपस्थिति दर्ज करा रही थी, लेकिन वहां खड़ा हर शख्स जानता था — ये कोई आम मर्डर नहीं। “कौन है?” अयान ने उतरते ही पूछा। “साहब… एक औरत है,” कॉन्स्टेबल दुबे ने सिर झुकाते हुए जवाब दिया, “किसी ने सिर पर वार किया है, मौके पर ही…