• Hindi - प्रेम कहानियाँ

    सिगरेट के धुएं में एक अधूरी कविता

    अन्वी शुक्ला बंद कमरा और अधूरी कविता इलाहाबाद विश्वविद्यालय का हिंदी विभाग, समय की परतों से ढका हुआ, उन इमारतों में से एक था जहाँ दीवारें भी शेर सुनाती थीं। पुराने बरामदे, लोहे के गेट, और बरगद के नीचे लगे बेंच — सबमें कोई ना कोई दास्तान अटकी हुई थी। प्रोफेसर यतीन भटनागर, जिन्हें सब आदर से ‘यतीन सर’ कहते थे, हर दिन सुबह नौ बजे ठीक उसी बेंच पर बैठकर अपनी चाय पीते, मानो वक़्त को अपनी हथेली में थामे बैठे हों। उस दिन भी कुछ अलग नहीं था, सिवाय इसके कि हवा में कुछ अजीब था—जैसे कोई धुआँ……

  • Hindi - सामाजिक कहानियाँ

    छांव सी दोस्ती

    अनामिका मिश्रा भाग 1 गाँव का नाम था चांदपुर—उत्तरप्रदेश के बलिया जिले में बसा एक ऐसा गाँव, जहाँ न तो शहर की चकाचौंध थी, न ही इंटरनेट की तेज़ रफ्तार। लेकिन था तो बस एक चीज़—दिल से जुड़ा अपनापन। वही अपनापन था जो आरती और फरज़ाना की दोस्ती की नींव बना। आरती थी ज़मींदार के घर की इकलौती बेटी—चमकती साड़ी, पायल की छनक, और आँखों में अनगिनत सपने। दूसरी तरफ फरज़ाना—मदरसे में पढ़ाई करती, अब्बू की छोटी सी दुकान में हाथ बंटाती, चुपचाप मगर गहरी नज़रों वाली लड़की। दोनों का मिलना शायद किसी फिल्मी कहानी की तरह हुआ था, लेकिन…

  • Hindi - प्रेम कहानियाँ

    धीरे धीरे तुम्हारी ओर

    सौरभ मिश्र भाग १ नींबू की गंध अक्सर गर्मियों की दोपहर में तेज़ लगती है। मगर उस दिन, जब सपना पहली बार हमारे मोहल्ले में आई थी, नींबू की गंध में कुछ धीमा था, जैसे वो अपनी ही खुशबू से शरमा रही हो। मैं दरवाज़े के पास बैठा था, पीतल के गिलास में नींबू पानी था, और माँ के कहने पर मैंने उसमें काला नमक डाला था। तभी उसने पूछा — “नींबू ज़्यादा है ना?” मैंने उसे देखा। उसकी आँखें नींबू के रस से नहीं, किसी और ही ख्याल से भरी थीं। मैंने हाँ कहा या ना, ये मुझे याद…