अमित वर्मा भाग 1 मुरादाबाद का जून महीना हमेशा कुछ न कुछ लेकर आता था। कभी धूल भरी आंधी, कभी बिना मौसम के बादल और कभी एकदम अचानक बारिश। उस दिन भी ऐसा ही हुआ। मैं अपनी स्कूटी लेकर ऑफिस से लौट रहा था जब अचानक आसमान फट पड़ा। बारिश की बूंदें ऐसी गिर रही थीं जैसे किसी ने ऊपर से बाल्टी भर के पानी उड़ेल दिया हो। मैं भागकर सामने वाले पुराने पेड़ के नीचे खड़ा हो गया। वहीं बगल में एक चाय की दुकान थी, नाम लिखा था—”काका की चाय, 1982 से”। दुकान उतनी ही पुरानी लग रही…
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सौरभ मिश्र भाग १ नींबू की गंध अक्सर गर्मियों की दोपहर में तेज़ लगती है। मगर उस दिन, जब सपना पहली बार हमारे मोहल्ले में आई थी, नींबू की गंध में कुछ धीमा था, जैसे वो अपनी ही खुशबू से शरमा रही हो। मैं दरवाज़े के पास बैठा था, पीतल के गिलास में नींबू पानी था, और माँ के कहने पर मैंने उसमें काला नमक डाला था। तभी उसने पूछा — “नींबू ज़्यादा है ना?” मैंने उसे देखा। उसकी आँखें नींबू के रस से नहीं, किसी और ही ख्याल से भरी थीं। मैंने हाँ कहा या ना, ये मुझे याद…