• Hindi - फिक्शन कहानी

    सत्ता का जाल

    विनय प्रताप सिंह भाग 1 लखनऊ की वह रात सर्द नहीं थी, लेकिन शहर के सियासी गलियारों में एक अजीब ठंडक फैल चुकी थी। विधानसभा के बाहर अचानक बिजली चली गई। पूरे परिसर में अंधेरा छा गया, जैसे किसी ने जानबूझकर समय को रोक दिया हो। मुख्यमंत्री यशवर्धन त्रिपाठी की कार का काफिला ज़रा देर के लिए ठिठका, फिर सुरक्षा की तैनाती दोगुनी कर दी गई। मुख्यमंत्री का चेहरा भावहीन था, पर उनके माथे पर पहली बार चिंता की महीन लकीरें उभरी थीं। उसी समय सचिवालय की चौथी मंज़िल से एक छोटी सी फाइल ग़ायब हो गई। उसका नाम था—ऑपरेशन…

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    धुंध में सिंहासन

    अनिरुद्ध तिवारी भाग १: खामोशी की हलचल धरणपुर की सुबहें शांत होती थीं—कम से कम बाहर से देखने पर। लेकिन जो लोग सत्ता के गलियारों में रहते थे, उन्हें मालूम था कि यहां की चुप्पी अक्सर किसी तूफान से पहले की खामोशी होती है। चुनाव छह महीने दूर थे, पर मुख्यमंत्री सुरेश राजे का चेहरा जैसे पहले ही हार मान चुका था। काले घेरे उनकी आंखों के नीचे गहराते जा रहे थे और पार्टी के भीतर बगावत की आवाज़ें तेज़ होने लगी थीं। इसी बीच धरणपुर के जिला कलेक्टर राघव त्रिपाठी को एक गुप्त चिट्ठी मिली। सफेद लिफाफा, बिना किसी…