शेखर राणे भाग 1 मुंबई की उस रात कुछ अलग था। समंदर की लहरें जैसे कुछ कहने को बेताब थीं, और आसमान की कालिख शहर के गुनाहों की तरह भारी लग रही थी। पुलिस स्टेशन नं. 17 के इंस्पेक्टर अर्जुन पाटिल की आंखों में नींद नहीं थी। पिछले चौबीस घंटे में तीन कत्ल, तीनों एक ही तरीके से, और कोई सुराग नहीं। अर्जुन ने मेज पर रखी फाइल उठाई, जिस पर लिखा था – “केस: ब्लैक रोज मर्डर्स।” हर शव के पास एक काली गुलाब की पंखुड़ी पाई गई थी। न खून के धब्बे, न संघर्ष के निशान, जैसे मौत…