आरव मिश्रा भाग 1 – परिचय रामू की सुबह बाकी लोगों से बहुत अलग नहीं थी, पर उसमें कुछ खासियत थी जिसे वह खुद ही पहचानता था। उसकी आँखें भोर के हल्के उजाले के साथ खुल जातीं। घर छोटा था—मोहल्ले की तंग गलियों के बीच एक कमरे का मकान, जिसकी छत पर टीन की चादरें लगी थीं। गर्मियों में वे चादरें आग की तरह तपतीं और सर्दियों में उन पर ओस की बूंदें मोतियों की तरह चमकतीं। मगर रामू ने कभी शिकायत नहीं की। रामू की उम्र पैंतीस के आसपास थी। चेहरे पर हल्की दाढ़ी और माथे पर हमेशा…