अर्जुन वर्मा भाग 1 मुंबई की रातों में कुछ अलग ही बात होती है। दिनभर की चकाचौंध के बाद जब समंदर की लहरें भी थककर किनारे से लिपटती हैं, तब शहर के असली चेहरे बाहर निकलते हैं। शोभा डे की पन्नों से परे, फिल्मों के पर्दे से पीछे — वहाँ एक और मुंबई है। काली, चुपचाप, और खूनी। उसी के एक कोने में, डोंगरी की तंग गलियों में, तीन परछाइयाँ एक नीली मारुति वैन से उतरीं। वैन के सामने वाला शीशा टूटा हुआ था। ड्राइवर ने लाइट बंद रखी थी, गाड़ी का इंजन बंद कर दिया गया था ताकि किसी…