बनारस की तंग और घुमावदार गलियाँ जैसे अपने भीतर सदियों का इतिहास समेटे खड़ी थीं, जिनमें सुबह-सुबह की गंगा आरती की घंटियों की आवाज़ और अगरबत्तियों की महक हवा में तैरती रहती थी। लेकिन उस दिन की सुबह इन गलियों पर एक अजीब सन्नाटा छाया हुआ था। सूरज की पहली किरणें जैसे ही पुराने कच्चे मकानों की दीवारों पर पड़ीं, शहर में अफवाहों का तूफ़ान फैलने लगा—“चौखंबा मोहल्ले में एक व्यापारी का कत्ल हो गया।” लोगों की भीड़ उस घर के सामने जमा हो गई थी, जो शहर के सबसे पुराने कपड़ा कारोबारियों में से एक, लक्ष्मण प्रसाद का था।…
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आलोक पाण्डेय १ राजस्थान की तपती हुई धरती पर फैला हुआ था कर्णपुरा गाँव—एक ऐसा स्थान जहाँ गर्म हवाएँ दिन में साँय-साँय करती थीं और रात होते ही सब कुछ जैसे ठहर जाता था। चारों ओर बंजर ज़मीन, सूखे पेड़ों की छाँह, और रेत में गहराती चुप्पी। जुलाई की उस दोपहर में, जब सूरज अपनी पूरी प्रखरता से चमक रहा था, दिल्ली विश्वविद्यालय से रिसर्च स्कॉलर अन्वेषा शर्मा ने पहली बार इस गाँव की मिट्टी को छुआ। हाथ में डायरी, बैग में रिकॉर्डिंग डिवाइस और मन में ढेर सारे सवाल लेकर वह एक पुरानी जीप से उतरी, जो उसे शहर…
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विराज नागपाल १ रघुवीर राणा की जीप जैसे ही कच्ची सड़क पर धूल उड़ाती हुई आगे बढ़ी, सामने के दृश्य ने उसे सहसा खामोश कर दिया। सड़क के दोनों ओर सरसों के खेत अभी हरे ही थे, लेकिन उन खेतों के बीचोंबीच खड़ी एक बूढ़ी हवेली अपने पुराने ज़ख्मों की तरह झुलसी हुई दिख रही थी। उसके टूटे छज्जे, काले पड़े झरोखे और छत की ढही हुई चौखटें उसे किसी युद्ध का थका हुआ सैनिक बना रही थीं। गाँव वालों ने पहले ही चेता दिया था — “उधर मत जाइयो, बाबूजी। वो खून वाली कोठी है।” लेकिन इतिहास और तस्वीरों…
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विक्रम चतुर्वेदी दिल्ली की पुरानी गलियों में सर्दियों की रातें हमेशा से रहस्यमयी रही हैं, लेकिन उस रात की धुंध कुछ अलग थी—जैसे हवा में अजीब सी गंध घुली हो, जैसे पुरानी कहानियाँ अचानक फिर से ज़िंदा हो उठी हों। रात के करीब ढाई बज रहे थे जब पुरानी दिल्ली के एक तंग गली में एक मृत शरीर मिला। कोहरे की मोटी चादर के बीच झांकती स्ट्रीट लाइट की पीली रोशनी में उसका चेहरा साफ़ नहीं दिख रहा था, लेकिन जो दिख रहा था, वो डरावना था—उसके चेहरे पर गहरी दहशत की झलक थी, जैसे मौत से पहले उसने कुछ…