• Hindi - क्राइम कहानियाँ

    खून की होली

    अशोक वर्मा एक रामपुर चकिया की संकरी गलियाँ उस दिन रंगों से भरी हुई थीं। हर घर की छत पर अबीर उड़ रहा था, गुलाल की महक और ढोल की थाप से पूरा गाँव झूम रहा था। ठेठ भोजपुरी गानों पर बच्चे-बूढ़े, औरत-मर्द सब अपनी-अपनी झिझकें छोड़ चुके थे। लेकिन उस जश्न के भीतर एक अनकहा डर छुपा हुआ था — डर रामबाबू सिंह की सत्ता का, डर उसके दरबार की चुप्पी का। पूरे गाँव को आमंत्रण मिला था उसके भव्य होली समारोह में, जो हर साल पंचायत भवन के प्रांगण में होता था। टेंट लग चुके थे, मंच बना…