१ ठाकुर अजय प्रताप सिंह अपने इलाके के सबसे चर्चित और सम्मानित जमींदार थे। जीवन की ढलती उम्र में भी उनकी आवाज़ और व्यक्तित्व में वही रौब था जो युवावस्था में दिखता था। विशाल हवेली, लंबा-चौड़ा बगीचा, दर्जनों नौकर और जमीन-जायदाद के अनगिनत कागजात—सब कुछ मानो उनकी शख्सियत का विस्तार थे। लेकिन उस रात हवेली के अंदर का माहौल कुछ अलग था। हवेली की घड़ी ने रात के ग्यारह बजाए ही थे कि अचानक नौकरों की ओर से हलचल मच गई। ठाकुर अपने निजी कमरे में बैठे थे, मेज पर रखी डायरी और पास में रखी एक फाउंटेन पेन के…
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मनीष कुमार तिवारी भोपाल की शाम में एक अजीब सी खामोशी थी, जैसे कोई पुरानी आवाज़ शहर की हवाओं में छुपी हुई हो। रामस्वरूप मिश्रा, पुलिस विभाग से सेवानिवृत्त हवलदार, का पार्थिव शरीर श्मशान से घर वापस नहीं आया था — वह वहीं राख बन चुका था, और अब केवल स्मृतियों में बचा था। उनके बेटे अभिषेक मिश्रा ने अनगिनत हाथ मिलाए, नम आँखें देखीं और एक अजीब से खालीपन को अपने भीतर महसूस किया। पंडित, रिश्तेदार और कुछ पुराने सहयोगी भी आए थे, लेकिन सबसे ज़्यादा चुभती थी वह चुप्पी जो उनकी माँ संध्या के चेहरे पर थी —…