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    अंधकार शहर

    रिहाना कौर सूरज की छाँव में अंधकार शहर १ जनवरी २०९५, सुबह ८:३० बजे दिल्ली का वह इलाका, जिसे अब लोग “अंधकार शहर” के नाम से जानते थे, धुंध और घने बादलों के साए में लिपटा रहता था। सुबह के वक्त भी यहाँ सूरज की किरणें दुर्लभ थीं। ऊँची-ऊँची गगनचुंबी इमारतें इस कदर सघन थीं कि वे सूरज की रोशनी को ज़मीन तक पहुँचने से रोकती थीं। यहाँ के लोग तकनीक पर पूरी तरह निर्भर थे। हर घर, हर ऑफिस, हर सड़क के किनारे स्मार्ट सेंसर लगे थे, जो नेटवर्क के माध्यम से जुड़े थे। अरुण, २८ वर्षीय इंजीनियर, अपनी…