दीप्तिमान शर्मा अध्याय १– वादियों की दहलीज़ दिल्ली से श्रीनगर की उड़ान जैसे ही बादलों को चीरते हुए नीचे उतरने लगी, लेखक की आँखों के सामने फैली धरती ने एक नया ही रूप ले लिया। धुंध और बर्फ की परतों से घिरी पहाड़ियाँ मानो किसी चिर-परिचित चित्र की तरह सामने थीं, जिन्हें उसने केवल किताबों और फिल्मों में देखा था। श्रीनगर के हवाई अड्डे पर उतरते ही ठंडी हवा का पहला झोंका जैसे उसे उस अनदेखी दुनिया के स्वागत में गले से लगा लेता है। हवाई अड्डे से बाहर निकलते ही उसकी नज़रें बर्फ से लदी देवदार की कतारों और…