प्रमोद कुमार १ मध्यप्रदेश के सिंगनामा गाँव की सूखी, तपती ज़मीन पर जून की दोपहर भी नर्क से कम नहीं थी, लेकिन डॉ. प्रणव कश्यप की आँखों में जिज्ञासा की जो आग जल रही थी, वह हर तपन को फीका कर देती थी। पुरातत्व विभाग की ओर से सिंधु घाटी से जुड़ी किसी उप-सभ्यता की खोज के लिए खुदाई का यह दसवाँ दिन था, और अब तक मिली थीं केवल मिट्टी के बर्तन, टूटे हुए दीवार के टुकड़े, और दो-तीन अधजली लकड़ियाँ। मगर आज, जब खुदाई की टीम ज़मीन के तीसरे स्तर तक पहुँची थी, एक कुदाली ज़मीन में किसी…
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राघव आहूजा साल 2097 का जून महीना था, लेकिन मौसम अब किसी कैलेंडर का पालन नहीं करता था—पृथ्वी का संतुलन कब का बिगड़ चुका था, और तापमान अब मनमानी करता था; दिल्ली कभी -5°C में जम जाती थी तो कभी 57°C की आग उगलती गर्मी में झुलस जाती थी, और इन्हीं विपरीतताओं से बचने के लिए बनाए गए थे बायोडोम्स—मानव सभ्यता के कृत्रिम गढ़, कांच और स्टील से बने बंद ग्रह, जिनके अंदर समय, वायुमंडल, सूर्यप्रकाश, बारिश, हवा, सब कुछ नियंत्रित किया जाता था; और इन बायोडोम्स के बीच सबसे उन्नत था न्यू दिल्ली बायोडोम, जिसे अब बस “एनडीबी” के…