नवनीत तनेजा अध्याय १: “ख़ामोश दिल की रातें” रेडियो स्टेशन की हल्की पीली रौशनी में बैठी सिया राय ने अपने सामने रखे माइक की ओर देखा। रात के दस बजने ही वाले थे, और वो पल आने वाला था जब उसकी आवाज़ शहर की अनगिनत खिड़कियों से होकर उन लोगों तक पहुँचेगी जो तन्हा हैं, अधूरे हैं, और किसी न किसी इंतज़ार में हैं। “ख़ामोश दिल” – उसका नाइट शो, शहर का सबसे भावुक रेडियो सेगमेंट बन चुका था, जहाँ लोग अपने अधूरे ख़त, दर्दभरी कविताएँ, और बेसब्र मोहब्बतें साझा करते थे। लेकिन सिया का अपना दिल भी कुछ कम…