• Hindi - यात्रा-वृत्तांत

    कश्मीर की वादियों में

    दीप्तिमान शर्मा अध्याय १– वादियों की दहलीज़ दिल्ली से श्रीनगर की उड़ान जैसे ही बादलों को चीरते हुए नीचे उतरने लगी, लेखक की आँखों के सामने फैली धरती ने एक नया ही रूप ले लिया। धुंध और बर्फ की परतों से घिरी पहाड़ियाँ मानो किसी चिर-परिचित चित्र की तरह सामने थीं, जिन्हें उसने केवल किताबों और फिल्मों में देखा था। श्रीनगर के हवाई अड्डे पर उतरते ही ठंडी हवा का पहला झोंका जैसे उसे उस अनदेखी दुनिया के स्वागत में गले से लगा लेता है। हवाई अड्डे से बाहर निकलते ही उसकी नज़रें बर्फ से लदी देवदार की कतारों और…

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    कोंकण की रेल यात्रा

    वसुंधरा देशमुख मुंबई की सुबह हमेशा की तरह व्यस्त और शोरगुल से भरी थी, लेकिन नीरा के दिल में एक गूंजती सी ख़ामोशी थी, जैसे किसी पुराने मंदिर की घंटी जो वर्षों से नहीं बजी हो। रेलवे स्टेशन की भीड़ से होते हुए वह अपने ट्रॉली बैग को धीमे-धीमे खींचती हुई प्लेटफ़ॉर्म की ओर बढ़ी। बालों की सफेदी अब काले रंग को पछाड़ चुकी थी और आँखों के नीचे की झुर्रियाँ समय के थपेड़े का सबूत थीं। वह साधारण सी सूती साड़ी में थी, बिना मेकअप, बिना कोई अतिरिक्त तैयारी — जैसे यह यात्रा उसके जीवन का कोई खास हिस्सा…

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    लद्दाख की वो आखिरी चाय

    विशाल सक्सेना एक दिल्ली की उस सुबह में कुछ अजीब सी खामोशी थी—न ज़्यादा कोहरा, न ही सूरज की चमक। एक मद्धम सी उदासी अर्जुन के कमरे की दीवारों पर रेंग रही थी जैसे पिछली रात की नींद में किसी ने कुछ अधूरा छोड़ दिया हो। दीवार पर लटकी कैलेंडर की तारीखें टेढ़ी हो चुकी थीं, और खिड़की के बाहर किसी ट्रैफिक सिग्नल की पीली रौशनी में बत्तखों की कतार जैसी आवाज़ें आती रहीं। अर्जुन की अलमारी के दरवाज़े खुले थे, एक ओर उसके कैमरे की काली बैग रखी थी जिसमें एक जीवन भर की यात्रा की प्यास भरी हुई…