• Hindi - क्राइम कहानियाँ

    मौन गवाह

    नितीन द्विवेदी १ प्रयागराज की सर्द सुबह थी। कुहासा गंगा किनारे के घाटों पर पसरा हुआ था। पुराने शहर के मोहल्ले में एक वीरान हवेली खामोशी ओढ़े खड़ी थी—’प्रकाश निवास’, जहाँ न्यायमूर्ति वेद प्रकाश अकेले रहते थे। बाहर एक नीली रंग की एंबेसेडर कार धूल से ढकी हुई थी, मानो वर्षों से चली नहीं हो। हवेली की जालीदार खिड़कियों से धूप झांकने की कोशिश कर रही थी, लेकिन उस सुबह हवेली के भीतर कुछ और ही घट चुका था। नौकर मुंशी बाबू, जो हर रोज़ सात बजे चाय लेकर ऊपर की मंज़िल पर जाया करते थे, आज दरवाज़ा खटखटाते ही…