राघव अग्रवाल अध्याय 1: पहला पर्दा गिरा मुंबई के कोलाबा स्थित प्रसिद्ध रंगमंच “रंगदीप” की दीवारों पर हल्की सी सीलन की परत थी, पर भीतर माहौल हमेशा जीवंत और रचनाशील रहता था। उस शाम भी, मंच पर एक नया नाटक “अंधेरे के चेहरे” का अभ्यास चल रहा था। लेकिन इस बार, मंच पर सिर्फ अभिनय नहीं, असली मौत भी छिपी थी। जैसे ही अंतिम दृश्य के संवाद गूंजे और रोशनी मद्धम हुई, प्रकाश लौटने पर दृश्य ठहर गया—कलाकार विवेक माथुर, जो नाटक का मुख्य पात्र था, स्टेज पर लुढ़का पड़ा था। पहले तो सबने सोचा ये प्रदर्शन का हिस्सा है, लेकिन…