• Hindi - क्राइम कहानियाँ

    धुएँ का रहस्य

    राघवेंद्र मिश्रा १ रात के बारह बजे थे। शहर की गलियों में सन्नाटा पसरा हुआ था। लेकिन उस सन्नाटे को चीरती हुई हवेली नंबर २१ से एक अजीब सी आवाज़ आ रही थी—कभी दरवाज़े के चरमराने की, तो कभी किसी के कराहने की। यह हवेली कभी मिश्रा परिवार की शान हुआ करती थी, लेकिन अब यह वीरान और खंडहर में तब्दील हो चुकी थी। हवेली के चारों ओर उग आए कंटीले पेड़ और सूखे पत्तों का ढेर उसे और डरावना बना देता था। आज भी उसी हवेली से धुआँ उठता दिखाई दे रहा था। मोहल्ले वालों का कहना था कि…