अन्वेष चौगुले वह जो नहीं दिखता पांडिचेरी की गलियाँ सुबह की रोशनी में सोने सी चमक रही थीं। समुद्र की ठंडी हवा हर नुक्कड़ पर बसी थी, लेकिन संतोष नगर की एक गली में आज कुछ अलग था—कुछ असहज, कुछ ऐसा जो हवा में भारीपन भर रहा था। उस गली के आख़िरी छोर पर एक दो-मंज़िला पुराना घर खड़ा था, जिसके सामने एक विशाल नीला दरवाज़ा था—जैसे किसी पुराने जमाने के बंगले में होता है। उसके पीछे रहता था डॉ. गिरीशन: उम्र करीब पचपन, दिखने में साधारण, पर हर मरीज की नब्ज पहचानने वाला एक अनुभवी होम्योपैथ। पर अब तीन…