नीरजा राजन अध्याय 1: मौत की खबर लखनऊ की जनवरी की उस ठंडी सुबह में सूरज की किरनें भी किसी अनकहे संकोच के साथ ज़मीन पर उतर रही थीं, जैसे उन्हें भी शहर की हवा में पसरे भारीपन का अंदाज़ा हो। हज़रतगंज के उस पॉश अपार्टमेंट “रॉयल हाइट्स” की चौथी मंज़िल पर हलचल मच चुकी थी। नीली साड़ी में लिपटी हुई नैना सक्सेना की निर्जीव देह बालकनी के रेलिंग से नीचे लॉन में पड़ी थी—एक खामोश चीख की तरह। चारों तरफ पुलिस की बैरिकेडिंग, मीडिया की भीड़, और मोबाइल कैमरों की चमक थी; पर हर किसी के भीतर एक ही…
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संध्या अग्रवाल फिर मिलेंगे ज़रूर “याद है, हम चारों ने कॉलेज के आखिरी दिन क्या कहा था?” मीना की आवाज़ वॉट्सएप कॉल पर गूंजती है। “हाँ, ये कि हम हर साल एक ट्रिप करेंगे, खुद के लिए। और फिर?” कविता हँसती है, “फिर बच्चों के स्कूल, टिफिन, पति की मीटिंग और सास-ससुर की दवा लिस्ट!” “मत पूछो,” सुझाता बोली, “मेरे तो याद भी नहीं कब मैंने अकेले चाय पी थी, बिना किसी को पूछे।” रुखसाना चुप थी। वो हमेशा कम बोलती थी, लेकिन जब बोलती थी, तो सीधा दिल में उतरता था। “मैंने कल अलमारी साफ़ की,” वो बोली, “एक…