• Bangla - ভূতের গল্প

    मसान घाट की परछाईं

    अरुणा सहाय अमावस्या की रात के आने से पहले ही गाँव का वातावरण बदलने लगता था। दिन में साधारण दिखने वाला यह गाँव जैसे ही अंधेरे में डूबने लगता, वैसे ही हर कोने में एक अनजाना डर उतर आता। बच्चे जब खेलते-खेलते नदी की ओर भागते तो बुज़ुर्ग अपनी डाँट और चेतावनी से उन्हें रोकते—“आज घर जल्दी लौट आओ, अमावस्या की रात है, मसान घाट से दूर रहना।” उनके स्वर में सिर्फ सख्ती नहीं होती, बल्कि एक गहरी चिंता और डर झलकता था, मानो वे खुद भी उन छायाओं से डरे हों जो रात ढलते ही गाँव के किनारे बसे…