• Hindi - प्रेतकथा

    बरगद की चुड़ैल

    दिनेश कुमार गाँव के ठीक बीचों-बीच खड़ा वह बरगद का पेड़ सदियों पुराना था, जिसकी फैली हुई जटाएँ और चौड़ी शाखाएँ गाँव की पहचान मानी जाती थीं। दिन के उजाले में यह पेड़ गाँववालों का आश्रय स्थल होता—कोई किसान हल चलाने से पहले थोड़ी देर इसकी छाँव में बैठकर बीड़ी सुलगा लेता, बच्चे इसकी झूलती जड़ों को झूले की तरह पकड़कर खेलते, और दोपहर की तपिश से थके मजदूर इसकी ठंडी छाँव में सुस्ताने आ जाते। बरगद की ठंडी छाया में गाँव का चौपाल भी लगता, जहाँ बुजुर्ग अपने अनुभव साझा करते और लड़के-लड़कियाँ खेलकूद में मशगूल रहते। लेकिन जैसे…