• Hindi - नैतिक कहानियाँ - फिक्शन कहानी

    राख से रोशनी

    समीर चौहान भाग 1 — शुरुआत का सपना लखनऊ की पुरानी गलियों में सर्दी की धूप धीरे-धीरे उतर रही थी। आयुष वर्मा बालकनी में खड़े होकर चाय की भाप में खोया था। कप उसके हाथ में था, लेकिन दिमाग कहीं और। नौकरी में आज प्रमोशन मिला था, लेकिन दिल में कोई खुशी नहीं थी। दिल्ली की एक मल्टीनेशनल कंपनी में सीनियर मैनेजर बनना उसके कॉलेज के दोस्तों के लिए सपनों जैसी बात थी, मगर आयुष के लिए… ये बस एक और महीने का वेतन था, जो बैंक अकाउंट में जमा होकर ईएमआई और बिलों में गुम हो जाएगा। बालकनी से…

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    चाय वाली अम्मा

    रचना चौहान चाय की पहली प्याली कचहरी के सामने जो टूटी-फूटी सड़क थी, वहीं एक कोने में लकड़ी की छोटी-सी गाड़ी पर दिन की शुरुआत होती थी एक उबलती केतली की आवाज़ से। सुबह के सात बजते ही उस गाड़ी के पास एक बुज़ुर्ग महिला सफेद सूती साड़ी में आ जातीं, माथे पर बड़ी लाल बिंदी, बाल पूरी तरह सफ़ेद, लेकिन चाल में अब भी गज़ब की चुस्ती। लोग उन्हें नाम से नहीं, दिल से जानते थे—”चाय वाली अम्मा”। पैंतीस साल से उसी जगह चाय बना रही थीं। किसी को नहीं मालूम कि वो कहाँ से आई थीं, कौन उनका…

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    तुम्हारे साथ, मेरा होना

    अमूलिक त्रिपाठी 1 गाँव की आखिरी गली में खड़ा बांस का पेड़ अब बूढ़ा हो चला था। उसकी शाखाएँ जैसे समय के हाथों से झुक गई थीं, और पत्तियाँ… हर साल कम होती जा रही थीं। उसी पेड़ के नीचे आज भी वही पुराना पत्थर पड़ा था, जहाँ कभी शाम को सोनू, रमिया और बाकी दोस्त बैठा करते थे। अब ना वो शोर था, ना कहकहे, बस एक सन्नाटा था जो हर चीज़ में रिसता चला आया था। सोनू वहीं बैठा था, मोबाइल की स्क्रीन पर उँगलियाँ घुमा रहा था, लेकिन आँखें कहीं और थीं। कानों में हल्की आवाज़ में…