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    राख से रोशनी

    समीर चौहान भाग 1 — शुरुआत का सपना लखनऊ की पुरानी गलियों में सर्दी की धूप धीरे-धीरे उतर रही थी। आयुष वर्मा बालकनी में खड़े होकर चाय की भाप में खोया था। कप उसके हाथ में था, लेकिन दिमाग कहीं और। नौकरी में आज प्रमोशन मिला था, लेकिन दिल में कोई खुशी नहीं थी। दिल्ली की एक मल्टीनेशनल कंपनी में सीनियर मैनेजर बनना उसके कॉलेज के दोस्तों के लिए सपनों जैसी बात थी, मगर आयुष के लिए… ये बस एक और महीने का वेतन था, जो बैंक अकाउंट में जमा होकर ईएमआई और बिलों में गुम हो जाएगा। बालकनी से…