सात साल के बाद भारत की ज़मीन पर पैर रखते ही अनुपम को एक अजीब-सी गरमाहट महसूस हुई, जैसे किसी पुराने स्वेटर को फिर से पहन लिया हो। एयरपोर्ट से निकलते ही चिलचिलाती धूप और खस्ता ट्रैफिक ने उसे भले ही हल्का सा चौंका दिया हो, पर दिमाग कहीं और था — उन गलियों की ओर जहाँ बचपन के दिन खिलखिलाते थे, जहाँ दादी बिना नागा रोज़ शाम को दीया जलाती थीं, और जहाँ दिवाली एक त्यौहार नहीं, एक एहसास हुआ करता था। टैक्सी की खिड़की से बाहर झाँकते हुए वह हर नुक्कड़, हर पेड़, हर पोस्टर में कोई न…
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स्मिता कपूर करण एक सफल वकील था, जो हमेशा तर्क और क़ानून के आधार पर अपनी ज़िंदगी जीता था। उसने कभी भी अपनी भावनाओं को प्राथमिकता नहीं दी थी, और उसकी पूरी दुनिया सख्त अनुशासन और काम के हिसाब से चलती थी। वह अपने पेशे में माहिर था, और समाज में उसका सम्मान था। लेकिन एक दिन उसकी ज़िंदगी एक भयानक हादसे से बदल गई। उसकी मंगेतर, निशा, एक कार दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गई और पैरालाइज हो गई। वह जिस महिला को अपनी ज़िंदगी का साथी मानता था, वह अब शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी…