• Hindi - प्रेतकथा

    कंचनपुर की पिशाचनी

    शैलेश पटनायक १ बिहार के सुपौल जिले के पूर्वी छोर पर बसा था कंचनपुर गांव — खेतों और तालाबों के बीच झूमता हुआ एक शांत पर रहस्यमय संसार। दोपहर की गर्मी ढल रही थी जब नीलोत्पल मिश्रा और उसकी नवविवाहिता पत्नी संध्या, गांव की कच्ची सड़कों से गुजरते हुए अपने पुश्तैनी मकान के सामने पहुंचे। पुराने समय की लाली पुती दीवारें, टीन की छत और आंगन में खड़े आम और नीम के पेड़ गांव के परिवेश की आत्मा को जीवंत बनाए हुए थे। संध्या ने पहली बार इस मिट्टी की गंध को महसूस किया — नम, सोंधी, और किसी अनजाने…