रश्मि वर्मा शालिनी वर्मा के कदम जैसे ही मुंबई की गलियों में पड़े, उसके मन में एक अजीब सा घबराहट का अहसास था। कई सालों बाद वह इस शहर में वापस आई थी, और यह शहर अब पहले जैसा नहीं था। न जाने कितनी बार उसने यहाँ की सड़कों पर चलते हुए अपने बचपन और किशोरावस्था की यादों को महसूस किया था, लेकिन आज वह इन सड़कों को एक पुलिस अधिकारी के नजरिए से देख रही थी। शालिनी को याद था कि जब वह यहां पहली बार आई थी, तो उसकी आँखों में उम्मीद और हिम्मत की चमक थी, लेकिन…