आकाश ठाकुर अध्याय 1 – बरगद की छाँव गाँव के बीचोंबीच खड़ा बरगद का विशाल पेड़ सदियों की गवाही देता प्रतीत होता था। उसकी जड़ें ज़मीन के भीतर गहरी उतरती और शाखाएँ आसमान की ओर फैली होतीं, मानो समय की लकीरों को अपने पत्तों में समेटे हुए। इस पेड़ के नीचे हमेशा हलचल रहती। सुबह-सुबह बूढ़े लोग अपनी दरी बिछाकर बैठते, अपने दिनों की बातें साझा करते और कभी-कभी नए आने वाले बच्चों को अपनी कहानियों में उलझा देते। धूप अगर ज्यादा तेज़ होती, तो उनकी आँखों की चमक पेड़ की घनी छाँव में ढल जाती। बच्चों के लिए यह…