विक्रम चतुर्वेदी दिल्ली की पुरानी गलियों में सर्दियों की रातें हमेशा से रहस्यमयी रही हैं, लेकिन उस रात की धुंध कुछ अलग थी—जैसे हवा में अजीब सी गंध घुली हो, जैसे पुरानी कहानियाँ अचानक फिर से ज़िंदा हो उठी हों। रात के करीब ढाई बज रहे थे जब पुरानी दिल्ली के एक तंग गली में एक मृत शरीर मिला। कोहरे की मोटी चादर के बीच झांकती स्ट्रीट लाइट की पीली रोशनी में उसका चेहरा साफ़ नहीं दिख रहा था, लेकिन जो दिख रहा था, वो डरावना था—उसके चेहरे पर गहरी दहशत की झलक थी, जैसे मौत से पहले उसने कुछ…