संध्या अग्रवाल फिर मिलेंगे ज़रूर “याद है, हम चारों ने कॉलेज के आखिरी दिन क्या कहा था?” मीना की आवाज़ वॉट्सएप कॉल पर गूंजती है। “हाँ, ये कि हम हर साल एक ट्रिप करेंगे, खुद के लिए। और फिर?” कविता हँसती है, “फिर बच्चों के स्कूल, टिफिन, पति की मीटिंग और सास-ससुर की दवा लिस्ट!” “मत पूछो,” सुझाता बोली, “मेरे तो याद भी नहीं कब मैंने अकेले चाय पी थी, बिना किसी को पूछे।” रुखसाना चुप थी। वो हमेशा कम बोलती थी, लेकिन जब बोलती थी, तो सीधा दिल में उतरता था। “मैंने कल अलमारी साफ़ की,” वो बोली, “एक…