• Hindi - प्रेम कहानियाँ

    उस रात जंतर मंतर पर

    विराज देशमुख अध्याय १ दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैंपस की सड़कें अगस्त की हल्की बारिश से चमक रही थीं। पेड़ों की पत्तियाँ भीग चुकी थीं, और हॉस्टल के गलियारों में एक नई उमंग घुली हुई थी—नए सेमेस्टर की, नई क्लासेस की, और हाँ, नए चेहरों की भी। आर्ट्स फैकल्टी के बाहर एक छोटा-सा जमावड़ा था, हाथों में पोस्टर, गले में स्लोगन, और आँखों में जुनून। काव्या, अपने कुर्ते के नीचे एक पुराने से झोले में नोटबुक और पेन लिए, उस भीड़ के बीच खड़ी थी—ना पीछे, ना आगे—बस ठीक वहीं जहाँ सबसे ज्यादा आवाज़ गूंजती थी। “आज की नारी सब…