राघव सक्सेना १ दिल्ली की चकाचौंध और भीड़भाड़ से दूर, शहर के एक नामी-गिरामी प्राइवेट अस्पताल की चमकती इमारतें अक्सर बाहर से किसी पाँच सितारा होटल जैसी लगती थीं। बड़े-बड़े शीशे, सफ़ेद यूनिफ़ॉर्म में सजे कर्मचारी, कॉफ़ी की खुशबू और एसी से छनकर आती ठंडी हवा… इन सबके बीच डॉ. आरव मेहता अपने इंटर्नशिप के पहले कुछ महीनों से गुज़र रहा था। महज़ सत्ताईस साल का यह जूनियर डॉक्टर मेडिकल कॉलेज से निकला ही था और उसने अपने भीतर आदर्शों और सेवा-भाव से भरी दुनिया बनाई थी। उसके लिए डॉक्टर होना महज़ पेशा नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी थी, जिसे निभाने…