विक्रम चतुर्वेदी दिल्ली की पुरानी गलियों में सर्दियों की रातें हमेशा से रहस्यमयी रही हैं, लेकिन उस रात की धुंध कुछ अलग थी—जैसे हवा में अजीब सी गंध घुली हो, जैसे पुरानी कहानियाँ अचानक फिर से ज़िंदा हो उठी हों। रात के करीब ढाई बज रहे थे जब पुरानी दिल्ली के एक तंग गली में एक मृत शरीर मिला। कोहरे की मोटी चादर के बीच झांकती स्ट्रीट लाइट की पीली रोशनी में उसका चेहरा साफ़ नहीं दिख रहा था, लेकिन जो दिख रहा था, वो डरावना था—उसके चेहरे पर गहरी दहशत की झलक थी, जैसे मौत से पहले उसने कुछ…
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अनुज वर्मा दिल्ली की उमस भरी गर्मी की दोपहर में नेहा शर्मा जब पुरानी दिल्ली की तंग गलियों से होकर उस हवेली की तरफ़ बढ़ी, तो उसके दिल में हल्का-सा डर और अजीब-सी उत्सुकता एक साथ उभर आई। हवेली का नाम उसने कई बार सुना था, अख़बारों में उसकी तस्वीरें भी देखी थीं, पर सामने खड़े होकर उसकी जर्जर दीवारों को देखना जैसे किसी पुराने ज़ख्म की परत हटाने जैसा था। टूटी हुई जालीदार खिड़कियाँ, ऊपर से झूलती बेलें और लोहे का ज़ंग खाया बड़ा सा दरवाज़ा — सब कुछ जैसे समय के थपेड़ों से थक कर झुक गया था।…