• Hindi - यात्रा-वृत्तांत

    आत्म-खोज का सफर

    शिवानी कश्यप इशा रेड्डी अपने मुंबई स्थित उच्च-मूल्य वाले फ्लैट की खिड़की से बाहर देख रही थी, जहाँ से शहर का विस्तृत आकाश नजर आता था। कभी इस शहर ने उसे अपने सपनों के रंग दिए थे, लेकिन अब यह शहर उसे एक बंद पिंजरे जैसा महसूस होने लगा था। वाहनों का शोर, लोगों की भाग-दौड़, और निरंतर दौड़ते हुए जीवन ने उसे पूरी तरह से थका दिया था। वह एक सफल करियर में थी, प्रतिष्ठित कंपनी में काम कर रही थी, जहां उसकी हर पहचान थी, लेकिन इन सबके बावजूद, उसे अंदर से एक खालीपन महसूस हो रहा था।…

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    चाय, पहाड़ और हम चार

    संध्या अग्रवाल फिर मिलेंगे ज़रूर “याद है, हम चारों ने कॉलेज के आखिरी दिन क्या कहा था?” मीना की आवाज़ वॉट्सएप कॉल पर गूंजती है। “हाँ, ये कि हम हर साल एक ट्रिप करेंगे, खुद के लिए। और फिर?” कविता हँसती है, “फिर बच्चों के स्कूल, टिफिन, पति की मीटिंग और सास-ससुर की दवा लिस्ट!” “मत पूछो,” सुझाता बोली, “मेरे तो याद भी नहीं कब मैंने अकेले चाय पी थी, बिना किसी को पूछे।” रुखसाना चुप थी। वो हमेशा कम बोलती थी, लेकिन जब बोलती थी, तो सीधा दिल में उतरता था। “मैंने कल अलमारी साफ़ की,” वो बोली, “एक…