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    कवियों का महासंग्राम

    विनीत अवस्थी भाग 1: पंखे के नीचे कविता चिलचिलाती गर्मी में जनपद रामपुर के टाउन हॉल में कवि सम्मेलन की तैयारी अपने चरम पर थी। आयोजक श्री मुन्ना लाल ‘मुक्त’ जिनकी मूंछें खुद कविताओं की तरह ऊपर-नीचे लहराती थीं, पूरे उत्साह से व्यवस्था में लगे थे। पंखे खड़खड़ा रहे थे, माइक टेस्ट हो चुका था—”हैलो…हैलो…प्याज़ 60 रुपये किलो…”—और कुर्सियाँ ठीक वैसे ही डगमगा रही थीं जैसे देश के बजट पर विश्वास। शाम सात बजे पहला कवि मंच पर चढ़ा: श्री रमेश कुमार ‘रसिया’, जिनकी खासियत थी रोमांटिक कविताएं सुनाकर सामने बैठी आंटियों को ब्लश करवा देना। उन्होंने मंच पर आते…