प्रिया त्रिपाठी सुबह का वक्त था और गाँव में धुंध की हल्की परत अब भी खेतों के ऊपर तैर रही थी। प्रिया यादव, जो छुट्टियों में अपने घर लौटी थी, माँ के कहने पर मंदिर जा रही थी। रास्ते में उसे कुछ गड़बड़ महसूस हुई—गाँव के सबसे बड़े सरसों के खेत की मेड़ पर कुछ लोग भीड़ लगाकर खड़े थे, फुसफुसाते हुए बात कर रहे थे, मानो कोई बड़ा अनर्थ हो गया हो। प्रिया पास पहुँची तो उसकी आँखें ठिठक गईं: अर्जुन सिंह, गाँव के सबसे प्रतिष्ठित नेता और भावी उम्मीदवार, का शव खेत की गीली मिट्टी पर पड़ा था।…
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देवांशु मिश्र छींकापुर, ऐसा गाँव जहाँ हर दूसरे दिन बिजली जाती है और हर चौथे दिन चौधरी जी की बकरी। यहाँ के लोग ताश खेलते हुए दुनिया की राजनीति तय करते हैं और बीड़ी पीते हुए शेयर मार्केट की चाल समझाते हैं। इसी गाँव का सबसे विशेष जीव था—पप्पू यादव। उम्र 28, काम-काज शून्य, मगर जुगाड़ ज्ञान में ऐसा निपुण कि शादी में बिना बुलाए घुसने के 13 तरीके जानता था। स्कूल में मास्टर रामखेलावन उसे ‘गधे की जात’ कहकर बुलाते थे और मोहल्ले वाले उसे ‘UPSC का मजाक’ कहते थे। लेकिन पप्पू का आत्मविश्वास डबल बैटरी वाले टॉर्च जैसा…